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Bird Flu क्या है? इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब!

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Ashish Urmaliya | Pratinidhi Manthan

बर्ड फ्लू को अंग्रेजी में avian flu भी कहा जाता है औरइसका साइंटिफिक नाम 'मेडिकली एवियन इन्फ्लूएंजा' है. Bird Flu एक संक्रामक बीमारी है जो एक पक्षी से दूसरे पक्षियों, जानवरों और फिर इंसानों तक में फैल सकती है. यह एक ऐसा फ्लू है जिसकी वजह से हर साल दुनियाभर में कई पक्षियों की मौत हो जाती है. पक्षियों की मौत के बाद ये संक्रमण भयानक रूप धारण कर लेता है और अगर गलती से एक बार इंसानों तक ये वायरस पहुंचा तो गंभीर समस्या खड़ी कर देता है.

एक तो वैसे ही पूरी दुनिया पिछले एक साल से कोरोना वायरस संक्रमण से हलाकान है वहीं अब दूसरी ओर बर्ड फ्लू ने भारत में अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक भारत के कई राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल और राजस्थान में पक्षी इन्फ्लूएंजा के चलते पक्षियों की लगातार मौत हो रही है. इन हालातों के चलते सभी प्रभावित राज्यों के अधिकारियों को हजारों अन्य पक्षी प्रजातियों को बंद रखने के लिए मजबूर किया गया है. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि भारत के लोगों ने बर्ड फ्लू के बारे में सुना ही ना हो. यह संक्रमण इससे पहले भी भारत में अपना ट्रेलर दिखा चुका है. टाइम्स ऑफ इंडिया(TOI) छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक बर्ड फ्लू एक ऐसा संक्रमण है जो पक्षियों से इंसानों में आसानी से फैल सकता है. यहां तक कि यह पक्षियों के अंडों से भी इंसानों में फैल जाता है. यही वजह है कि इस संक्रमण में सभी तरह के पोल्ट्री फॉर्म्स को भी बंद कर दिया जाता है. कहने का मतलब यह संक्रमण पोल्ट्री के जरिए भी इंसानों में तेजी से फैल सकता है. आए दिन इस संक्रमण से जुडी ख़बरों के चलते अगर आप भी चिंतित हैं और आपके मन में कई तरह सवाल उठ रहे हैं तो आइए उन सवालों के जवाब जान लेते हैं… 

पहला सवाल जो आपके मन में हो सकता है-

आखिर बर्ड फ्लू इंसानों को कैसे संक्रमित करता है?

जैसे कि हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि बर्ड फ्लू को मेडिकली एवियन इन्फ्लूएंजा कहा जाता है. यह एक संक्रामक बीमारी है. बर्ड फ्लू एक पक्षी से दूसरे पक्षियों, जानवरों और फिर इंसानों तक फैल जाती है. इस संक्रमण की वजह से हर साल दुनियाभर में कई पक्षियों की मौत हो जाती है. इस वायरस का शुरूआती रूप तो सामान्य होता है लेकिन समय के साथ यह भयानक और जानलेवा भी हो सकता है. इस फ्लू का सबसे खतरनाक स्ट्रेन H5N1 है. H5N1 स्ट्रेन पक्षियों के साथ-साथ इंसानों को भी भयानक रूप से प्रभावित करता है. अगर पक्षियों में यह स्ट्रेन पनपा तो यह इंसान को भी अपनी चपेट में ले सकता है और भयानक रूप से ले सकता है. मतलब अगर समय पर ठोस इलाज नहीं हुआ तो जान गई समझो.

इस वायरस के फैलने की प्रक्रिया समझिए-

मुख्या रूप से यह वायरस पक्षियों के संपर्क में आने से यह फैलता है. यह वायरस सर्दियों के मौसम में अधिक प्रभावशाली होता है और आमतौर पर इसी मौसम में अपने पैर पसारता है, क्योंकि सर्दियों के मौसम में ही विदेशी पक्षी भारत आते हैं. माइग्रेटेड पक्षियों के जरिए भारतीय पक्षियों में ये वायरस आ जाता है और फिर यहां पर फैल जाता है. आमतौर पर जंगली और पोल्ट्री पक्षियों में यह वायरस पाया जाता है. पोल्ट्री पक्षियों जैसे बत्तख और मुर्गियों में यह बीमारी अधिक देखी जाती है. चूंकि पक्षियों को इलाज नहीं मिल पाटा और उनकी इस वायरस को झेलने की क्षमता भी कम होती है इसलिए उनकी मौत जल्दी हो जाती है.

आपके मन में एक और सवाल आया होगा कि क्या चिकन और अंडे का सेवन करने से भी यह बर्ड फ्लू फैलता है?

जब कोई पक्षी बर्ड फ्लू से प्रभावित होता है और इंसान उसके यूरिन और स्टूल के संपर्क में जाता है तो उससे यह वायरस इंसान तक पहुंच जाता है, क्योंकि यह संक्रामक बीमारी है. इसलिए अगर इन दिनों कहीं पर आपको कोई पक्षी मरा हुआ दिखे तो उससे दूर रहें. उसे न छूएं, उससे संक्रमण का खतरा हो सकता है. इसके अलावा चिकन और अंडा खाने से बचें. हालांकि अगर ये दोनों अच्छी तरह से धुले हुए हों और साफ तरीके से पके हुए हों तो आप इनका सेवन कर सकते हैं. इससे संक्रमण का खतरा नहीं होता है.

अंडे और चिकन को धोने का बेहतर तरीका भी जान लीजिए-

अधिकतर लोगों के दिमाग में ये धारणा बनी हुई है कि मात्र साफ पानी से चिकन या अंडे को धोने से उस पर मौजूद बैक्टीरिया और कीटाणु मर जाते हैं जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं है. बर्ड फ्लू जैसे संक्रमण में आपको चिकन और अंडा नमक पानी में धोना चाहिए या फिर गुनगुने पानी की मदद से धोनी चाहिए. इस प्रक्रिया के बाद इन्हें पेपर टावल से साफ करना चाहिए. फिर इन्हें सही तापमान में पकाएं और पूरी तरह से पकने के बाद ही खाएं.

बर्ड फ्लू का इलाज क्या है?

जानकारी व विशेषज्ञों के मुताबिक अगर ये संक्रमण पक्षियों में फैला है तो इस बीमारी का अब तक कोई इलाज नहीं है. लेकिन हां, अगर इंसानों में इस वायरस में अपनी जकड़ बना ली है तो इसके खिलाफ एंटी वायरल दवा उपलब्ध है, बशर्ते इलाज़ उचित समय पर कराया जाए. कहने का मतलब अगर किसी व्यक्ति में इसके लक्षण दिखें तो तुरंत इसके इलाज़ के लिए डॉक्टर के पास जाना चाहिए. फिलहाल हमारे देश के एम्स और पुणे की एनवाईवी लैब में इसकी जांच और उपयुक्त उपचार संभव है. समय पर इलाज ना कराने से जान जाने का खतरा चरम पर होता है.

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