कोरोना की दूसरी लहर का भयंकर प्रकोप झेलने के बाद अब दिल्ली सरकार(Delhi Government) ज्यादा सतर्कता बरतती दिखाई दे रही है। कोरोना की संभावित तीसरी लहर को मद्देनज़र रखते हुए दिल्ली सरकार ने 12वीं पास युवाओं से 15 दिन में हेल्थ असिस्टेंट बनने के लिए आवेदन मांगे हैं।
दिल्ली सरकार का 5000 युवाओं को नर्सिंग(Nursing) या हेल्थ असिस्टेंट(Health Assistant) के रूप में नौकरी देने का प्लान है। हालांकि स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े लोग केजरीवाल की इस पहल का विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि चिकित्सा जैसे संजीदा क्षेत्र में बिना ट्रेनिंग, डिग्री के किसी को नौकरी देना उचित नहीं है।
इसके अलावा देशभर या कह लें दुनियाभर में नर्सिंग स्टाफ(Nursing Staff) व नर्सिंग ऑफिसर्स(nursing officer) के लिए लगातार नौकरियां निकाली जा रही हैं। इस क्षेत्र में इतनी ज्यादा भर्तियों के पीछे की मुख्य वजह आप सब जानते हैं।
कोरोना की तीसरी लहर को लेकर लगातार भविष्यवाणियां हो रही हैं। स्वाभाविक सी बात है आज भी देश में रोजाना लगभग 60-65 हज़ार के आस पास कोरोना केसेस आ रहे हैं। आपको याद ही होगा शुरुआत में जब कोरोना आया था तब 20-30 हज़ार केसेस में ही भयंकर डर का माहौल बन गया था।
अभी भी देश के कई हिस्सों में लॉकडाउन लगा हुआ है। ऐसी आशंकाएं है कि पूरी तरह लॉकडाउन खुलेगा कोरोना केसेस फिर से बढ़ने शुरू हो जाएंगे। हालांकि वैक्सीनेशन (Vaccination) का काम भी तेज़ी से चल रहा है इसलिए उम्मीद की जा रही है कि अगली लहर उतनी ज्यादा तबाही नहीं मचा पाएगी। साथ ही सरकार भी अन्य पैमानों पर सतर्क नज़र आ रही है।
देशभर में राज्य सरकारों एवं प्राइवेट हॉस्पिटलों द्वारा नर्सिंग स्टाफ(Nursing Staff) व नर्सिंग ऑफिसर(Nursing Officer) की भर्तियां निकाली जा रही हैं ताकि कोरोना की संभावित तीसरी लहर का डट कर सामना किया जा सके। देश के कई राज्य ऐसे हैं जहां अस्पतालों का इंफ्रास्ट्रक्चर(infrastructure) तो तैयार है लेकिन स्टाफ नहीं है, उन जगहों को भी भरने का प्रयास किया जा रहा है।
इसी तर्ज पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल(Chief Minister Arvind Kejriwal) ने राजधानी में 5000 युवाओं को पैरामेडिकल हेल्थ असिस्टेंट(Paramedical Health Assistant) या नर्सिंग असिस्टेंट(Nursing Assistant) बनाने का फैसला किया है जो डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की मदद करेंगे।
लेकिन केजरीवाल(Kejriwal) के इस फैसले को विरोध का सामना करना पड़ रहा है।दरअसल, केजरीवाल(Kejriwal) ने इन पदों के लिए मात्र 12वीं पास लोगों से आवेदन मांग लिए हैं। विवाद यहीं खड़ा हो गया है, स्वास्थ्य विभाग से जुड़े विशेषज्ञ इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि केजरीवाल(Kejriwal) की 15 दिन में हेल्थ असिस्टेंट बनाने की पहल सही नहीं है। भारत ही क्या दुनिया के लगभग सभी देशों में नर्सिंग स्टाफ या नर्सिंग ऑफिसर बनने के लिए लंबी पढ़ाई की आवश्यकता होती है. नर्सिंग से संबंधित पढ़ाई के लिए देशभर में कई इंस्टीट्यूट(Institute) भी मौजूद हैं।
नर्स सिर्फ एक पेशा नहीं होता, यह एक संवेदनशील काम होता है। इस काम में नर्स को गंभीर से गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीज के सबसे करीब रहना होता है। उन्हें मरीज की न केवल बीमारियों और शारीरिक गतिविधियों की जानकारी होनी चाहिए बल्कि मरीज के साथ मानसिक रूप से डील करने की भी होनी चाहिए। इस सब के लिए माकूल तौर पर शिक्षित होना ज़रूरी होता है।
तो चलिए आज आप भी जान लीजिए....एक शिक्षित टाफ नर्स या नर्सिंग ऑफीसर(Nursing Officer) बनने के लिए कितनी पढ़ाई करनी पड़ती है। क्योंकि केजरीवाल(Kejriwal) ने तो भर्तियां निकाल दी हैं लेकिन सामान्य तौर पर देश में कहीं भी बिना उचित शिक्षा के आपको ये नौकरियां नहीं मिल पाएंगी।
एम्स नर्सेज यूनियन (AIIMS Nurses Union) के अध्यक्ष हरीश कुमार(President Harish Kumar) द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, हमारे यहां का ऐलोपैथिक हेल्थकेयर सिस्टम शोध(Allopathic Healthcare System Research) व सबूत पर आधारित है। यही कारण है कि मरीज को घर पर दी जाने वाली सेवाएं अस्पताल में दी जाने वाली सेवाओं से अलग होती हैं क्योंकि अस्पताल में शिक्षित नर्सिंग स्टाफ होता है।
मरीज के डायग्नोसिस्(Diagnosis) (किसी भी समस्या के बाहरी लक्षणों से आरम्भ करके उसके (उत्पत्ति के) मूल कारण का ज्ञान करना निदान (Diagnosis(डायग्नोसिस्)) कहलाता है।) से लेकर ट्रीटमेंट तक में नर्सिंग स्टाफ की मौजूदगी रहती है। साधारण भाषा में कहें तो नर्स के माध्यम से ही मरीज तक इलाज पहुंच पाता है। इस विशेष पेशे में नौकरी प्राप्त करने के लिए तीन तरह की पढ़ाई की जाती है।
हमारे देश में नर्सिंग के लिए सबसे प्राथमिक पढ़ाई ऑक्सीलरी नर्स मिडवाइफ(Auxiliary Nurse Midwifery) यानि ANM की होती है। इसका डेढ़ से दो साल का एक कोर्स होता है। यह कोर्स स्टेट नर्सिंग काउंसिल(State Nursing Council) और इंडियन नर्सिंग काउंसिल (Indian Nursing Council) द्वारा इस तर्ज पर तैयार किया जाता है कि जरूरत पड़ने पर इन लोगों को राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर चलने वाले स्वास्थ्य मिशन या स्वास्थ्य कार्यक्रमों को सामुदायिक स्तर पर तुरंत नियुक्त किया जा सके।
करीब दो साल की पढ़ाई के बाद डिग्री धारकों को कम्यूनिटी स्तर पर नियुक्त किया जाता है। उदाहरण के तौर पर समझें तो गर्भवती महिलाओं से जुड़े, कोरोना वैक्सीनेशन से जुड़े कार्यक्रमों का जिम्मा ANM हाथों में ही होता है। इन ऑक्सीलरी नर्स मिडवाइफ(Auxiliary Nurse Midwifery(ANM)) को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र(Primary Health Centre(PHC)), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (COMMUNITY HEALTH CENTRE(CHC)) या डिस्पेंसरी में ही बस नियुक्ति दी जाती है।
नर्सिंग(Nursing) का यह डिप्लोमा कोर्स(Diploma Course) साढ़े तीन साल का होता है। खासियत यह है कि यह कोर्स पूरा करने वाला व्यक्ति देश के किसी भी बड़े अस्पताल या हेल्थकेयर सिस्टम(Hospitals or Healthcare Systems) में नौकरी प्राप्त कर सकता है। यह डिप्लोमा कोर्स(Diploma Course) मौजूदा वक्त की मेडिकल जरूरतों और स्टेंडर्ड के हिसाब से तैयार किया जाता है।
और तो और ऐलोपैथी(Allopathic) में मॉडर्न मेडिसिन(modern medicine) की जितनी भी ब्रांच होती हैं उनमे से किसी भी ब्रांच में यह डिप्लोमा धारक काम कर सकता है। GNM डिप्लोमा धारक व्यक्ति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) से लेकर भारत के बड़े से बड़े हेल्थकेयर सिस्टम(Healthcare Systems) में बतौर स्टाफ नर्स नियुक्ति प्राप्त कर सकता है।
अगर आप नर्सिंग फील्ड में डिग्री प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको नर्सिंग में बीएससी(BSC) की पढ़ाई करनी होगी। साढ़े चार साल का यह डिग्री कोर्स करने के लिए देशभर में कई संस्थान मौजूद हैं। इसमें 4 साल तो आपको पढ़ाई करनी होती है बाकी के 6 महीने किसी अस्पताल या चिकित्सा संस्थान में इन्टर्नशिप करनी होती है।
हालांकि डिग्री के 4 सालों के दौरान भी थ्योरी की पढ़ाई करने के साथ-साथ अस्पताल में भी काम करना होता है। आप सोच रहे होंगे इसे बढ़िया तो GNM डिप्लोमा कोर्स(GNM Diploma Course) है। तो हम आपको बता दें, यह डिग्री जीएनएम(GNM) से दो चीजों में ऊपर है, पहली रिसर्च और दूसरी एकेडमिक ज्ञान।
डिग्री के दौरान इन दो चीज़ों पर ज्यादा फोकस होता है और यही आगे चल कर बहुत ज्यादा काम भी आता है। बीएससी(BSC) इन नर्सिंग में मेडिकल की अलग-अलग ब्रांचेस(Branch) की पढ़ाई होती है। आपको चयन करना होता है कि आप किस ब्रांच में नर्सिंग ऑफिसर(nursing officer) बनना चाहते हैं।
नर्सिंग में B.Sc करने वाला व्यक्ति रोगियों की देखभाल के साथ ही एकेडमिक और रिसर्च की गतिविधियों में भी शामिल होता है। इस डिग्री धारक को पूरे भारत में मान्यता प्राप्त होती है।
एमएससी(M.Sc) की पढ़ाई शैक्षणिक योग्यता(Educational qualification) बढ़ाने के उद्देश्य से की जाती है। नौकरी प्राप्त करने के लिए जीएनएम डिप्लोमा(GNM Diploma) और बीएससी(B.Sc) इन नर्सिंग की डिग्री पर्याप्त है लेकिन एमएससी(M.Sc) के बाद एकेडमिक (academic) क्षेत्र पढ़ाने (शिक्षण) का रास्ता खुल जाता है। अगर आप किसी भी ब्रांच में स्पेशलाइजेशन(specialization) लेना है तो एमएससी(M.Sc) की पढ़ाई कर सकते हैं।
हालांकि भारत में इस डिग्री की कुछ ही कॉलेजों में उपलब्धता है। M.Sc in Nursing करने के बाद आप इसमें पीएचडी भी कर सकते हैं। PhD करने के बाद आपकी एकेडमिक क्वालिफिकेशन(Academic Education) काफी ऊंची हो जाती है इसलिए आप किसी भी नर्सिंग इंस्टीट्यूट में आसानी से प्रोफेसर आदि बन जाते हैं।
जानकारों के मुताबिक, नर्सिंग के लिए यही सब शैक्षिक योग्यताएं चाहिए होती हैं। इन डिप्लोमा, डिग्रीयों में से कोई भी एक प्राप्त करके आप आसानी से नर्सिंग स्टाफ बन सकते हैं। हालांकि कुछ राज्यों में इन डिग्रीयों के नाम या सिलेबस में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है। इससे यह बात तो कन्फर्म है कि नर्सिंग स्टाफ बनने के लिए किसी भी व्यक्ति को अच्छी खासी पढ़ाई करने की जरूरत होती है।
विशेषज्ञों के बताए अनुसार, नर्सिंग ऑफिसर बनने के लिए आपको सोशियोलॉजी फॉर नर्सिंग स्टूडेंट, फार्माकोलॉजी, पैथोलॉजी एंड जेनेटिक्स फॉर नर्सेज, क्यूनिकेशन एंड एजुकेशन टैक्नोलॉजी, प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन, मेडिकल एंड सर्जिकल नर्सिंग, फिजियोलॉजी, एनाटॉमी, कम्यूनिटी हेल्थ नर्सिंग, फंडामेंटल्स ऑफ नर्सिंग, साइकैट्रिक नर्सिंग, पीडियाट्रिक नर्सिंग आदि विषय पढ़ने होते हैं।
नर्सिंग की पढ़ाई करने से पहले आपको ये जरूर जान लेना चाहिए कि एक नर्सिंग ऑफिसर क्या काम करता है? नर्सिंग ऑफिसर अस्पताल में मरीजों का डायग्नोसिस करता है, लैब संभालता है, अस्पताल की मशीनों को ऑपरेट करता है।
इसके साथ ही डॉक्टर की ओर से दिए गए प्रिस्क्रिप्शन को मरीज तक पहुंचाने का काम भी करता है, मरीज को समय से दवा देने और चेकअप करने का काम भी करता है।
चेक-अप में तापमान नापने जैसे छोटे काम से लेकर डॉक्टर के आने तक किसी भी आपात स्थिति को संभालने तक की जिम्मेदारी नर्सिंग ऑफीसर की होती है। करने को एक नर्सिंग ऑफिसर ये सभी काम कर सकता है लेकिन निर्भर करता है कि उसकी डड्यूटी कितने कामों में लगी हुई है क्योंकि एक आदमी तो सारे काम नहीं संभाल पायेगा ना।
काम कोई भी हो उसे करने के लिए काबिलियत की जरूरत होती है और वह काबिलियत उचित शिक्षा व ट्रेनिंग से आती है। चाहे फिर वह पायलट का काम हो, एक्टर का काम हो या दुनिया का कोई भी काम हो।
हालांकि काबिलियत अनुभव से भी आ सकती है लेकिन वह अनुभव प्राप्त करते करते आप जो गलतियां करेंगे उनकी भरपाई कौन करेगा? चिकिस्ता जैसे गंभीर क्षेत्र में इन गलतियों के लिए कोई जगह नहीं होती क्योंकि एक गलती किसी मरीज की मौत का कारण बन सकती है।
नर्सिंग की ही बात करें तो इसके लिए छात्र का हायर साइंस का बैकग्राउंड होना जरूरी है। नर्सिंग की तैयारी कर रहे छात्र को शरीर के हर भाग जैसे- शरीर में मौजूद हड्डियों, मांसपेशियों, नसों, अंतड़ियों तक की जानकारी होनी ज़रूरी होती है।
चिकित्सा के क्षेत्र में तकनीकी चीजों से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती, तकनीक पर पैनी पकड़ होनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर जब नर्स ब्लड प्रेशर नापते हैं और अगर उनको सही तरीका नहीं पता है या उपकरण का सही तरीके से इस्तेमाल करना नहीं आता तो सोचिए विपरीत परिस्थिति में उस मरीज का क्या होगा?, Blood Pressure नापने के लिए स्टेथोसकोप कहां लगाना है?, इसकी पूरी प्रोसेस क्या है?, शुगर लेवल कितना होना चाहिए, कितना नहीं?, इंजेक्शन किस नस में डालना है?, किस किस परिस्थिति में क्या करना है? आदि।इस सबके लिए व्यक्ति को पूरी तरह से ट्रेंड होना पड़ता है।