क्या होती है क्राउड फंडिंग? आप उद्यमी हैं और इसके बारे में नहीं जानते, तो कुछ नहीं जानते!
Ashish Urmaliya | The CEO Magazine
आज, फंडिंग की दुनिया का सबसे चर्चित विषय है, क्राउडफंडिंग(Crowd Funding). क्राउड फंडिंग आधुनिक युग की एक नई सौगात है. दरअसल, यह चंदे का एक नया स्वरुप है, जिसके अंतर्गत जरूरतमन्द व्यक्ति अपने इलाज, शिक्षा, व्यापार आदि से जुड़ी आर्थिक जरूरतों को पूरा कर सकता है। न केवल व्यक्तिगत जरूरतें, बल्कि तमाम सार्वजनिक योजनाओं, धार्मिक कार्यों और जनकल्याण उपक्रमों, बड़े उद्योगों के लिए क्राउड फंडिंग एक उपयोगी हथियार के रूप में सामने आया है। दुनिया के कई बड़े देशों में क्राउड फंडिंग की व्यवस्था पूरी तरह से स्थापित हो चुकी है और भारत में भी इसका प्रचलन लगातार बढ़ रहा है.
क्या है क्राउड फंडिंग?
वैसे तो बाजार में पैसे जुटाने के आर्इपीओ और बॉन्ड जैसे कई तरीके उपलब्ध हैं. लेकिन क्राउड फंडिंग एक ऐसा नया तरीका है जो आज काफी प्रचलन में है.
-इसके लिए आपको वेब आधारित प्लेटफॉर्म या सोशल नेटवर्किंग का इस्तेमाल करना होता है.
-फंड जुटाने के लिए आपको संभावित दानादाताओं या निवेशकों को फंड जुटाने का पुख्ता कारण बताना होता है.
-फंड जुटाने के अपने मकसद को खुलकर निवेशकों के समक्ष रखना होता है.
-दानदाता, निवेशक इस मुहिम में वे कैसे योगदान कर सकते हैं, उसका भी पूरा ब्योरा देना होगा.
-फिर दानदाता या निवेशक आपसे प्रभावित होकर निवेश या दान करता है.
साधारण शब्दों में खा जाये तो, भारत में जिसे हम 'चंदा' कहते हैं, विदेशों में उसी शब्द को क्राउड फंडिंग कहते हैं. लेकिन इन दोनों शब्दों में एक मूल फर्क है. जहां एक ओर भारत में चंदे का उपयोग सिर्फ धार्मिक व सार्वजानिक कार्यों के लिए होता है. वहीं क्राउड फंडिंग का अपने आप में ही एक व्यापक स्वरुप है. यह फंडिंग धार्मिक कार्यों के लिए तो की ही जाती है, लेकिन इसके अलावा यह सामाजिक कार्यों, व्यावसायिक उद्देश्यों, फिल्मों के निर्माण, पत्रकारिता के उपक्रमों जैसे अन्य कई क्षेत्रों में की जाती है.
इस समय दुनिया भर में क्राउड फंडिंग मुख्य रूप से दो मॉडल्स पर काम काम करती है.
डोनेशन बेस्ड फंडिंग- क्राउड फंडिंग कांसेप्ट का जन्म ही इसी मॉडल से हुआ है. इसमें लोग किसी अच्छे प्रोडक्ट या सर्विस के लिए पैसा दान करते हैं. ताकि उन्हें व अन्य लोगों को बाद में वह प्रोडक्ट या सुविधा मिल सके.
इन्वेस्टमेंट क्राउड फंडिंग- आज कल यह मॉडल व्यापार के क्षेत्र में सबसे प्रचलित है. इस तरह की क्राउड फंडिंग में पैसे देने वाला व्यक्ति उड़ प्रोडक्ट या कंपनी में हिस्सेदारी ले लेता है. और बाद में वह लाभ का भी हिस्सेदार होता है.
भारत में क्राउड फंडिंग के प्रचलित प्लेटफॉर्म्स :-
वैसे तो भारत में अनेकों-अनेक क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म्स उपलब्ध हैं. लेकिन उनमें से कुछ ही ऐसे पलटफॉर्मस हैं जो काफी प्रचलित हो चले हैं. तो आइये जानते हैं –
इन सब के अलावा भी अन्य कई तरह के क्राउड फंडिंग प्लैटफॉर्म्स इंटरनेट पर उपलब्ध हैं. जो विभिन्न स्तर पर लोगों को मदद पहुंचने का काम करते हैं. उदाहरण के लिए, हालही में कन्हैया कुमार, जो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की तरफ से बिहार की बेगूसराय सीट पर सांसद पद के लिए उम्मीदवार हैं. उन्होंने ने चुनाव से पहले ourdemocracy.in क्राउडफंडिंग वेबसाइट की मदद से मात्र 30 घंटे में लगभग 30 लाख रूपए का फंड इकठ्ठा कर लिया था. इसके अलावा देश की कई बड़ी पार्टियां जैसे- बीजेपी, कांग्रेस, आप, पार्टी फंड इकठ्ठा करने के लिए क्राउड फंडिंग साइट्स की मदद लेती हैं.
क्राउडफंडिंग से जुड़ी कुछ वेबसाइटें अमूमन अपने प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने के लिए फीस वसूलती हैं. यह फीस उनके द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं के बदले ली जाती है. ये फंड जुटाने में सहूलियत देती हैं. इनकी मदद से बेहद कम समय में काफी फंड जुटा लिया जाता है. ध्यान दें, भारतीय नियमों के अनुसार, इक्विटी आधारित क्राउडफंडिंग गैर-कानूनी है. यानी ऐसा नहीं किया जा सकता है. वहीं, पीयर-टू-पीयर लेंडिंग पर भारतीय रिजर्व बैंक का नियंत्रण है.
सेबी(SEBI) की नजर:
उद्यमियों की पुलिस मानी जाने वाली, बाजार नियामक संस्था सेबी (SEBI) ने हालही में क्राउड फंडिंग को लेकर नए नियम जारी किए हैं. ये ताजा नियम नई कंपनियों को फंड जुटाने के साथ ऐसे माध्यमों के दुरुपयोग को रोकने में मदद करेंगे. नियमों के अनुसार, केवल भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEB) से पंजीकृत संस्थाओं को ही क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान किए जाएंगे. इसके माध्यम से कंपनियां सालाना 10 करोड़ रुपये तक का फंड जुटा सकती हैं.
फंड जुटाने के नए माध्यम से जुड़े खतरे को देखते हुए सेबी ने प्रस्ताव पेश किया है कि, केवल मान्यता प्राप्त निवेशक ही क्राउड फंडिंग गतिविधियों में शिरकत कर सकते हैं. बाजार में सूचीबद्ध कंपनियां, रिएल एस्टेट कारोबार और वित्तीय क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां इसका फायदा नहीं उठा पाएंगी.