'मशरूम गर्ल' के नाम से मशहूर इस लड़की ने खड़ी की करोड़ों की कंपनी!
Ashish Urmaliya | The CEO Magazine
हमारा भारत कृषि प्रधान देश है, देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। लेकिन बदलते दौर में हमारे देश के युवाओं की रूचि कृषि से हटती जा रही है जो की एक चिंता का विषय है। जहां एक और युवाओं का मानना है कि कृषि के क्षेत्र में मुनाफा नहीं हैं वहीं इसके उलट कृषि के क्षेत्र में एक बड़ी मिशाल पेश कर रही हैं उत्तराखंड की रहने वाली मशरूम गर्ल 'दिव्या रावत'।
उत्तराखंड के चमोली (गढ़वाल) जिले से 25 किलोमीटर दूर कोट कंडारा गांव की रहने वाली दिव्या को देश भर में मशरूम गर्ल के नाम से जाना जाता है। नोएडा की यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद दिव्या ने नौकरी की, लेकिन वह जल्द ही समझ गई थी कि अगर कुछ बड़ा करना है, तो नौकरी को छोड़ना होगा। शुरुआत से ही खेती में दिलचस्पी रखने वाली दिव्या 2012 में नौकरी छोड़ कर गांव वापस आ गई। यहां उनके मन में मशरूम उत्पादन करने का ख्याल आया और उन्होंने महज तीन लाख रूपए की लगात से खेती शुरू कर दी. उनके साथ लोग जुड़ते गए और कारवां बढ़ता गया।
एक छोटे से कमरे में मशरूम का बिजनेस शुरू करने वाली दिव्या का कारोबार धीरे-धीरे बढ़ा और वह अपनी कंपनी सौम्या 'फूड प्राइवेट लिमिटेड' की मालकिन बन गईं। बता दें, बीते 5 सालों में कंपनी का टर्नओवर करीब 15 करोड़ है। आज कंपनी के तीन मंजिला मशरूम प्लांट से भारी मात्रा में प्रोडक्शन हो रहा है। उनके प्लांट में वर्ष में तीन तरह के मशरूम उत्पादित किये जाते हैं- बटन, ओएस्टर और मिल्की मशरूम। इनके मशरूम की सप्लाई उत्तराखंड ही नहीं बल्कि दिल्ली तक हो रही है।
अब दिव्या का मकसद पहाड़ी लोगों को पलायन से रोकना है, स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले 17 वर्षों में करीब 20 लाख लोग उत्तराखंड को छोड़कर बड़े शहरों में रोजी-रोटी तलाश रहे हैं। दिव्या की सौम्या 'फूड प्राइवेट लिमिटेड' कंपनी ने कई गांव के लोगों को रोजगार दिया है, हजारों घरों के लोग बिना पलायन के आसानी से 10-15 हजार रुपये की कमाई कर रहे हैं। आज दिव्या अपने कारोबार में सफल होने के साथ गांव में किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं।
दिव्या के अनुसार मशरूम एक ऐसी फसल है जिसमें लागत काफी कम आती है। इसका उत्पादन सिर्फ 20 दिन में शुरु हो जाता है और करीब 45 दिन में ही लागत निकल आती है। दिव्या ने मशरूम की खेती को इतना सरल कर दिया है कि हर व्यक्ति इसे कर सकता है। दिव्या का कहना है कि "अगर जीवन में किसी भी काम में सफलता चाहिए, तो पहले अपना काम सीखों और फिर दूसरों को सीखा दो। ऐसा करने से आपका काम आगे बढ़ेगा और आप जरूर तरक्की करोगे।" दिव्या करीब 5000 युवाओं-महिलाओं को मशरूम प्रॉडक्शन की ट्रेनिंग दे रही हैं जिससे की ज्यादा से ज्यादा लोग उनके साथ जुड़ सकें।
आपको बता दें, मई 2017 में दिव्या की कंपनी ने उच्च हिमालयी क्षेत्र की शक्तिवर्द्धक औषधि कीड़ा-जड़ी का उत्पादन शुरू किया है। यहां प्रति दो माह में करीब 60 किलो ग्राम कीड़ा जड़ी तैयार की जा रही है। जिसकी बाजारू कीमत 1.20 करोड़ रुपये प्रति किलो है। मशरूम गर्ल दिव्या रावत ने कीड़ा-जड़ी का उत्पादन शुरू करने के साथ ही खुद के रेस्टोरेंट में कीड़ा-जड़ी चाय की बिक्री प्रारंभ कर दी है। जिससे अब आप दून में कीड़ा जड़ी चाय का भी आनंद ले सकते हैं। दिव्या का दावा है कि यह देश का पहला कीड़ा जड़ी चाय रेस्टोरेंट है। इसमें ग्राहकों को कीड़ा-जड़ी चाय से होने वाले तमाम फायदों से भी रूबरू कराया जा रहा है। कीड़ा-जड़ी उत्पादन के लिए दिव्या ने अपने घर में एक विशेष लैब बनाई है।
आज दिव्या देश भर के हज़ारों युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत बन कर उभरी हैं जो नारी सशक्तिकरण का एक जीता जागता उदाहरण हैं। दिव्या ने ये साबित कर दिया है कि अगर शिद्दत से कोई काम किया जाए तो कृषि के क्षेत्र में भी भारी भरकम मुनाफा कमाया जा सकता है। बता दें, मशरूम लेडी के नाम से पहचान बनाने वाली दिव्या रावत को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी शक्ति पुरस्कार से नवाजा जा चूका है। यह पुरुष्कार उन्हें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा प्रदान किया गया था।