ये पति-पत्नी कबाड़ के जुगाड़ से कमा रहे हैं करोड़ों !
Ashish Urmaliya | The CEO Magazine
कोई भी इंसान अपने घर में कबाड़ रखना पसंद नहीं करता, इसलिए सफाई के दौरान निकले कबाड़ को या तो हम फेक देते हैं या फिर कुछ रुपयों में बेच देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है एक व्यापारी दम्पति इसी कबाड़ के ज़रिये करोड़ों रूपए कमा रहा है।
एक आईडिया सचमुच आपकी दुनिया बदल सकता है. इस बात को सच साबित कर रहे हैं जोधपुर, राजस्थान के रितेश लोहिया। दरअसल, रितेश अपनी पत्नी के साथ मिल कर कबाड़ के सामान से विभिन्न प्रोडक्ट्स बना कर बेच रहे हैं. उनकी इस कंपनी का सालाना टर्नओवर लगभग 50 करोड़ रूपए है।
बात करें इस बिज़नेस की शुरुआत की तो साल 2009 में व्यावसायिक मंदी अपने चरम पर थी। फर्नीचर हैंडीक्राफ्ट्स का निर्यात करने वाली रितेश की प्रीति इंटरनेशनल कंपनी पर भी इसका बुरा असर पड़ा। कंपनी लगभग डूबने की कगार पर थी। इसी बीच डेनमार्क से आया एक ग्राहक उनके गोदाम पहुंचा और उसकी नज़र एक टिन पर पड़ी। उस टिन पर गलती से किसी मजदूर ने कपडे की गद्दी रख दी थी। ग्राहक को वह कुर्सी देखने में बड़ी आकर्षक लगी। बस फिर क्या था उसने लोहिया दंपति को कबाड़ की चीजों से ऐसे ही उत्पाद बनाने की राय दे डाली।
रितेश और उनकी पत्नी ने इस दिशा में कदम बढ़ाया और कबाड़ की सहायता से कुछ प्रोडक्ट्स तैयार कर उनकी तस्वीर वेबसाइट पर डाल दी। जिनमें कबाड़ से बने स्टूल, कार के बोनट और सीट से बने सोफा सेट, कार के पुराने टायर से बने सिंक आदि प्रोडक्ट शामिल हैं। कुछ ही दिनों में देश-विदेशों में इन प्रोडक्ट्स की बिक्री शुरु हो गई। आज हालात ये हैं कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत 36 देशों से इन प्रोडक्ट्स की इतनी डिमांड आ रही है कि कंपनी उसको पूरा कर पाने में असमर्थ है। दुनिया भर में लोग कंपनी के अनोखे प्रोडक्ट्स के साथ तस्वीरें ले रहे हैं और आज कंपनी का टर्नओवर लगभग 50 करोड़ पहुँच गया है।
कंपनी की सफलता के बाद रितेश ने बताया कि विदेशों में हमें 500 रूपए की लागत से बने सामान की कीमत 2000 रूपए तक मिलती है। जो टिन हम कबाड़ियों से 30 रूपए में खरीदते थे, वो अब हमें 100 रूपए में भी नहीं देते। यह काफी अच्छा है और इससे कबाड़ियों की भी आमदनी में इज़ाफ़ा हुआ है। बता दें, कबाड़ से हैंडीक्राफ्ट बनाने वाली प्रीति इंटरनेशनल राजस्थान की पहली ऐसी कम्पनी है, जो कैपिटल मार्केट में सूचिबद्ध है।