Ashish Urmaliya || Pratinidhi Manthan
वित्तीय वर्ष 2020-21 खत्म हाेने को अब महीना भर ही रह गया है. स्वाभाविक सी बात है इनकम टैक्स (Income Tax ) में छूट पाने के लिए इंवेस्टमेंट प्रूफ वगैरह इकठ्ठा उन्हें जमा करने को लेकर आपकी तैयारियां भी जोरों शोरों से चल रही होंगी. तो आइए इसी बीच वाे 12 तरीके जान लेते हैं जिनका फायदा उठाकर आप भी इनकम टैक्स में भारी बचत कर पाएंगे.
आमतौर पर कर दाता (Tax Payers) इनकम टैक्स (Income Tax) के टैक्स सेविंग डिडक्शन में सेक्शन 80c के बारे में ही ज्यादा जानकारी रखते हैं. जबकि इसके अलावा भी इनकम टैक्स की दुनिया में कई ऐसे प्रावधान है जिनकी जानकारी ना हाेने के चलते जो लाेग बहुत सारा टैक्स बचा सकते है वाे भी नहीं बचा पाते या आसान भाषा में कहें कि अपने टैक्स डिडक्शन (Tax Deduction) काे कम नहीं कर पाते. आपको बता दें, ऐसे एक या दाे नहीं बल्कि 12 प्रावधान हैं जिनके बारे में आगे हम आपकाे जानकारी देने जा रहे हैं जिनमें अलग-अलग व छाेटी-छाेटी चीजाें के लिए भी सरकार टैक्स में रिबेट देती है. ताे आइए जानते हैं उन सभी एक्ट्स के बारे में जिनकी बदौलत आप आपने इनकम टैक्स डिडक्शन काे और भी कम कर सकते हैं.
1. सेक्शन 80C
INCOME TAX (आयकर) बचत के लिहाज से इनकम टैक्स कानून का सेक्शन 80C बहुत ही सामान्य एवं महत्वपूर्ण है. जब किसी भी व्यक्ति की वेतन या कारोबार से हुई आमदनी INCOME TAX (आयकर) के 30 फीसदी टैक्स स्लैब में आती है तो वह व्यक्ति या कारोबार इनकम टैक्स कानून के सिर्फ सेक्शन 80C के अनुसार 1.5 लाख रुपये तक के निवेश से वह टैक्स देनदारी के 46,350 रुपये की बचत कर सकता है. इसमें आप पीपीएफ, म्यूचूअल फंड, ईपीएफ, पीपीएफ, एनपीएफ, हाेम लाेन का प्रिसिंपल राशि देकर टैक्स में बचत कर सकते हैं. इसके अलावा आप बच्चाें की स्कूल फीस में भी सेक्शन 80c का बैनिफिट प्राप्त कर सकते हैं.
2. सेक्शन 80CCD (1B)
इनकम टैक्स कानून के मुताबिक टैक्स सेविंग का एक और कारगर तरीका है सब सेक्शन 80CCD (1B). इस सब सेक्शन के तहत आपको 50 हजार रुपए NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) अकाउंट में निवेश करना है. यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि यह कटाैती ऊपर बताए गए सेक्शन 80c के अलावा मानी जाती है ऐसे में इस तरीके से आप कुल दाे लाख रुपए तक की राशि पर भारी टैक्स सेविंग कर सकते हैं. सेक्शन 80c में 1,50,000 और 80CCD (1B) में 50,000 रुपए.
3. सेक्शन 80CCD (2)
NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) अकाउंट में रोजगार प्रदाता (Employer) द्वारा अपनी तरफ से किए गए अंशदान पर भी कर्मचारी टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है. बता दें, आपके NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) अकाउंट में आपको रोजगार देने वाले आपके मालिक (Employer) का अंशदान इंप्लॉई की सैलरी के 10 फीसदी के बराबर होता है और उसमें डीए (dearness allowance) शामिल रहता है. यहां ध्यान रखने वाली बात ये है कि वित्त वर्ष 2020-21 से प्रभावी, सेवानिवृत्ति के फंड में नियोक्ता (Employer) का योगदान - एनपीएस, ईपीएफ, सुपरनेशन फंड, एक वित्तीय वर्ष में 7.5 लाख रुपये से अधिक हाेगा ताे वह कर योग्य होगा. यानी इस राशि से अधिक योगदान प्राप्त होता है तो आप कर नहीं बचा पाएंगे. इसके अलावा, इस तरह के योगदान पर आप जो भी ब्याज अर्जित करेंगे वह भी टैक्स के दायरे में आएगा. इसलिए, अगर आप इस धारा के तहत कर बचत का लाभ उठाने की कोशिश में हैं तो यह सुनिश्चित कर लें कि आपके एनपीएस खाते में नियोक्ता का योगदान और साथ ही ईपीएफ का योगदान उस वित्तीय वर्ष में 7.5 लाख रुपये से अधिक न हो. नहीं तो आपको कोई भी लाभ नहीं मिलेगा.
4. सेक्शन 80D
आयकर कानून के सेक्शन 80D के अंतर्गत चिकित्सा बीमा (Medical insurance) के लिए दिए जाने वाले प्रीमियम पर भी टैक्स की बचत की जा सकती है. अगर आप खुद के लिए, अपने पार्टनर या फिर बच्चों के लिए भी चिकित्सा बीमा प्रीमियम का भुगतान करते हैं तो आप 25,000 रुपये तक के टैक्स की बचत कर सकते हैं. और तो और अगर आप अपने 60 साल से ऊपर की उम्र के माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम चुका रहे हैं या फिर चुकाएंगे तो आप टैक्स में 50,000 रुपये तक की छूट पा सकते हैं. तो कुल मिलाकर अगर आपके द्वारा स्वयं का जीवन साथी एवं आश्रित बच्चों सहित आपके बड़े बुजुर्गों जैसे- माता-पिता के लिए चिकत्सा बीमा प्रीमियम का भुगतान किया जा रहा है तो स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम आपको वित्तीय वर्ष में 75,000 रुपये तक का कर बचाने में मदद कर सकता है. इसके साथ ही यदि करदाता और उसके माता-पिता दोनों वरिष्ठ नागरिक हैं, यानी 60 वर्ष की आयु से ऊपर हैं, तो एक वित्तीय वर्ष में करदाता अधिकतम 1 लाख रुपये की कटौती का दावा कर सकता है. क्यों है ना सही स्कीम?
5. सेक्शन 80DD व सेक्शन 80DDB
ऊपर हमनें सेक्शन 80D के बारे में जाना लेकिन इसके अलावा दाे और ऐसे सेक्शन हैं जाे आपकाे टैक्स बचाने में भारी मदद करते हैं. इन सेक्शंस में 80DD और सेक्शन 80DDB आते हैं. सेक्शन 80DD का लाभ उस कर दाता को मिलता है जो खुद या उसके परिजनाें में से काेई अक्षम हाे. उसके परिजनों में उसकी पत्नी, बच्चे, भाई, बहन या वह भी शामिल हो सकता है, ऐसी स्थिति में ईलाज के लिए किए जाने वाले खर्च काे आयकर के प्रावधानों से मुक्त रखा जाता है. टैक्स बचत की अनुमति इस बात पर निर्भर करती है कि निर्भरता अक्षम है या गंभीर रूप से अक्षम है. मान लीजिए, यदि आश्रित कम से कम 40% विकलांग है, तो अधिकतम कटौती 75,000 रुपये और यदि आश्रित की विकलांगता का प्रतिशत 80% या उससे भी अधिक है, तो इसे गंभीर विकलांगता की श्रेणी में रखा जाता है और इसमें अधिकतम 1.25 लाख रुपये की टैक्स बचत का प्रावधान है.
वहीं सेक्शन 80DDB की बात करें तो इसमें रोगों या बीमारियों के संबंध में किए गए मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए किए गए खर्चों में टैक्स छूट का प्रावधान है. इस सेक्शन 80DDB के अंतर्गत निर्दिष्ट बीमारियों जैसे कि कैंसर, क्रोनिक किडनी रोगों आदि के उपचार के लिए किए गए चिकित्सा खर्चों के लिए टैक्स कटौती प्रदान करता है. इस टैक्स कटौती का दावा स्वयं या आश्रितों पर किए गए खर्चों के लिए किया जा सकता है. 60 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों के लिए, चाहे स्वयं हो या आश्रित, अधिकतम कटौती 40,000 रुपये की होती है जबकि 60 वर्ष या इससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए, अधिकतम टैक्स कटौती 1 लाख रुपए तक की होती है
6. सेक्शन 80U
आयकर कानून के सेक्शन 80DD या 80U के अंतर्गत डिडक्शन क्लेम करने के लिए जरूरी है कि आप खुद या आपका आश्रित किसी ऐसी बीमारी से पीड़ित हो जिसमें वह काम करने में अक्षम हो. ध्यान रखें, इन दोनों सेक्शनों में आपकी या आपके आश्रित की विकलांगता का स्तर 40 फीसदी से कम नहीं होना चाहिए. हालांकि, धारा 80U और 80DD के तहत कटौती का दावा एक साथ नहीं किया जा सकता है क्योंकि नियमानुसार धारा 80U के अंतर्गत कटौती का दावा केवल विकलांग व्यक्ति स्वयं ही कर सकता है, इसके उलट धारा 80DD के अंतर्गत टैक्स कटौती का दावा निर्भर व्यक्ति द्वारा किया जाता है (जिसने विकलांग व्यक्ति के इलाज के लिए खर्च किया हो). इस प्रावधान में विकलांगता और गंभीर विकलांगता दोनों सेक्शन के लिए डिडक्शन की रकम बराबर है. इसमें कोई भेदभाव नहीं है.
7. सेक्शन 80C
आयकर कानून के सेक्शन 80C के तहत आप होम लोन प्रिंसिपल रीपेमेंट पर मिलने वाले टैक्स बेनेफिट के अलावा, एक वित्तीय वर्ष के दौरान उस लोन पर दिए जाने वाले ब्याज पर अधिकतम 2 लाख रुपये पर टैक्स कटौती का दावा कर सकते हैं. ध्यान रहे यह टैक्स बचत का लाभ केवल खुद के लिए ली गई संपत्ति के लिए आप को ऋण लेते हैं उसी के लिए बस उपलब्ध है. अगर आप आपकी किसी निर्माणाधीन संपत्ति के लिए लिए गए होम लोन पर ब्याज चुका रहे हैं, तो टैक्स बचत का यह लाभ आपको घर के कब्जे के बाद ही प्राप्त हो पाएगा, बशर्ते यह कब्ज़ा पांच साल के भीतर ही हो. इससे ज्यादा वक्त लगा तो लाभ भूल जाइए। निर्माण अवधि के दौरान भुगतान किया गया ब्याज जमा किया जा सकता है और मकान पर कब्जा पाने के बाद पांच बराबर किस्तों में टैक्स बेनिफिट का दावा किया जा सकता है.
8. सेक्शन 80EEA
अगर आप दानी प्रवत्ति के व्यक्ति हैं तब तो फिर बढ़िया है और अगर नहीं हैं तो टैक्स बचाने के ले दान करने की आदत बना लीजिए क्योंकि दान में योगदान करने से आपको टैक्स बचाने में भारी मदद मिल सकती है. सेक्शन 80EEA की धारा 80G के तहत यदि आप निर्दिष्ट सरकारी अधिसूचित धन को दान करते हैं तो आप अपनी सकल कुल आय से कटौती के रूप में दान के 100% तक का दावा कर सकते हैं जिससे आपकी कर योग्य आय कम हो सकती है. आप भारी बचत के भागी बन सकते हैं.
9. सेक्शन 80TTA
अगर आपके बैंक खातों या डाकघरों के साथ रखे बचत खातों में जमा राशि पर ब्याज मिला है तो वह कर योग्य है. हालांकि एक वित्तीय वर्ष में 10,000 रुपये तक के इन स्रोतों से अर्जित ब्याज को धारा 80TTA के तहत सकल कुल आय से कटौती के रूप में दावा किया जा सकता है. ये दावा सामान्य नागरिक कर सकते हैं वरिष्ठ नागरिक नहीं कर सकते क्योंकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए धारा 80TTB की सुविधा उपलब्ध है. वरिष्ठ नागरिक इस धारा के तहत टैक्स कटौती का दावा कर सकते हैं.
10. सेक्शन 80TTB
देश के वरिष्ठ नागरिक (जिनकी आयु 60 वर्ष या उससे अधिक है) इस धारा के अंतर्गत अपनी सकल कुल आय से अधिकतम 50,000 रुपये के टैक्स बेनिफिट का दावा कर सकते हैं. इस तरह की टैक्स कटौती का उल्लेख निर्दिष्ट स्रोतों से अर्जित ब्याज पर किया जा सकता है जैसे कि बचत खाता पर मिलने वाला ब्याज, सावधि जमा पर मिलने वाला ब्याज, वरिष्ठ नागरिक बचत खाता पर मिलने वाला ब्याज आदि.
11. सेक्शन 80E
हो सकता है आपने एजुकेशन लोन लिया हो तो आप एजुकेशन लोन पर हो ब्याज चुकाते हैं उस पर भी आपको टैक्स में छूट मिलती है. केवल लोन लेने वाला व्यक्ति ही इस टैक्स कटौती का दावा कर सकता है. कानून के तहत हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) इस कटौती के हकदार नहीं होते हैं. इसमें अधिकतम राशि की कोई सीमा नहीं है. एक वित्तीय वर्ष में आयकर कानून की इस धारा के तहत सकल कुल आय से कटौती के रूप में आपके द्वारा दावा किया जा सकता है. ध्यान रहे, कर्ज चुकाने के शुरूआत की तारीख से अधिकतम 8 वर्षों के भीतर ही आप इस प्रावधान का लाभ ले सकते हैं.