पिछले 3 साल में किसानों को मिले करीब 35 लाख करोड़ रूपए

पिछले 3 साल में किसानों को मिले करीब 35 लाख करोड़ रूपए
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Ashish Urmaliya ||Pratinidhi Manthan

आखिर इतनी बड़ी रकम जाती कहांहै, किसको होता है फायदा?

पिछले3 वर्षों में सरकार ने खेती-किसानी और किसानों को आगे बढ़ाने के लिए दिल खोल कर पैसाखर्च किया है। सरकार का दावा है, कि पिछले 3 सालों में 34.85 लाख रुपए कृषि कर्ज केरूप में बांटे गए हैं। हालांकि, सरकार द्वारा 3 साल में 30 लाख करोड़ रूपए कर्ज देनेका लक्ष्य रखा गया था, लेकिन उससे भी अधिक पैसा बांटा गया है। यह सारी रकम देश के विभिन्नबैंकों के माध्यम से कृषि योजनाओं के तहत किसानों को कर्ज के रूप में दी गई।

केंद्रीयवित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ने यह आंकड़ा नावार्ड(National Bank forAgriculture and Rural Development) के हवाले से लोकसभा में पेश किया है। उन्होंनेयह भी बताया, कि कुल रकम की 8 फीसदी रकम लघु एवं सीमांत किसानों (जिनके पास 2 हैक्टेयरयानी 5 एकड़ से कम जमीन है) को देने का लक्ष्य रखा गया था।

पिछलेतीन सालों में लगातार टारगेट से अधिक पैसा बांटा गया है, इसलिए सरकार ने 2020-21 केबजट में इस टारगेट को बढ़ाकर 15 लाख करोड़ रूपए कर दिया गया है। अनुराग ने कहा, सरकारचाहती है कि किसान, साहूकारों से मोटे ब्याज पर कर्ज लेने के लिए मजबूर न हों, वो सरकारीसंस्थाओं से लोन लें।

कहां से कर्ज लेते हैं अधिकतरकिसान?

केंद्रीयकृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के प्रत्येक किसान पर औसतन 47 हजार रूपएका सरकारी कर्ज है। और देश के प्रत्येक किसान पर औसतन 12,130 रुपए का साहूकारों द्वारालिया गया कर्ज है। साल 2013 में एनएसएचओ द्वारा किये गए एक सर्वे में पता चला था, किकिसान परिवारों की ओर से लिए कुल कर्ज का करीब 40 फीसदी हिस्सा जमींदारों, पेशेवर साहूकारों,व्यापारियों आदि से लिया जाता है।

सबसे कम ब्याज दर पर मिलने वालालोन-

अनुरागके मुताबिक़, भारत सरकार एक ब्याज सहायता योजना कार्यान्वित करती है जिसके तहत किसानोंको 7 फीसदी की ब्याज दर पर 3 लाख रूपए तक का कर्ज दिया जाता है। और जो भी किसान समयपर कर्ज का भुगतान कर देता है उसे 3 फीसदी की ऊपर से छूट मिलती है। इसलिए यह ब्याजदर 4 फीसदी हो जाती है। कर्ज का पैसा किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये दियाजाता है।

प्रोसेसिंग के दौरान लगने वालीकई तरह की फीस माफ़-

केंद्रसरकार के मुताबिक, लघु एवं सीमांत किसानों के वित्तीय संकट को ध्यान में रखते हुए किसानक्रेडिट कार्ड बनवाने का नियम आसान कर दिया गया है। सभी संबंधित बैंकों को इसमें लगनेवाली प्रोसेसिंग डॉक्यूमेंटेशन, इंस्पेक्शन, लेजर फोलियो और अन्य सेवा शुल्कों मेंछूट देने के आदेश दिए गए हैं। बता दें, मौजूदा स्थिति में कुल 7 करोड़ किसानों के पासही किसान क्रेडिट कार्ड मौजूद है। 

आखिर कहां जा रही है इतनी बड़ीरकम? क्योंकि किसानों की हालत तो वैसी ही है-

कृषिअर्थशास्त्री देविंदर शर्मा के अनुसार, करीब 41 फीसदी लघु एवं सीमांत किसानों को सरकारीलोन का लाभ नहीं मिल पाता, अर्थात वे क्रेडिट प्रणाली से बाहर हैं। और जहां तक इतनीबड़ी रकम देने की बात है, तो इसका ज्यादातर हिस्सा किसानों के नाम पर कारोबार करने वालीकंपनियों के पास जाता है। ऐसी कंपनियों में वेयर हाउसिंग कंपनियां, फर्टिलाइजर, कीटनाशकबनाने वाली कंपनियां और एग्रीकल्चर मशीन बनाने वाली कंपनियां शामिल हैं।

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