किसानों के ऊपर 10 हजार करोड़ खर्च करेगी सरकार, क्या होता है FPO?

किसानों के ऊपर 10 हजार करोड़ खर्च करेगी सरकार, क्या होता है FPO?
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Ashish Urmaliya ||Pratinidhi Manthan

1फरवरी को देश का बजट पेश होने जा रहा है और उम्मीद की जा रही है, कि केंद्र सरकार10 हजार करोड़ की FPO फंडिंग का ऐलान कर सकती है। FPO का मतलब आगे जानेंगे, उससे पहलेइसका फुलफॉर्म जान लेते हैं, FPO का फुलफॉर्म होता है- किसान उत्पादक संगठन(Farmer Producer Organization)। इस फंड से किसानों को उत्पादन के लिए वित्तीय और तकनीकीलाभ मिलेगा। 

10 हजार करोड़ का फंड-

विस्तृतजानकारी तो 1 फरवरी को ही मिलेगी, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं, कि सरकार पूंजीगत सहारेके जरिये 7 से 10 हजार करोड़ देने का ऐलान कर सकती है ताकि अगले 5 सालों में 10 हजारFPO खोले जा सकें। बता दें, किसान उत्पादक संगठन(FPC) को कंपनीज एक्ट के तहत रजिस्टरकिया जाता है जिसमें पहले कम से कम 500 सदस्य होने की अनिवार्यता थी लेकिन अब अनिवार्यसदस्यता की संख्या 500 से घटाकर 250 किये जाने का अंदेशा है।

FPO को लेकर सरकार की योजना क्याहै?

FPOको खोलने की जिम्मेदारी NABARD, National Co-Operative Development Corporation(NCDC) और स्मॉल फार्मर्स एग्री-बिजनेस कंसोर्टियम (SFAC) को दी जा सकती है। सरकारकी भारी कोशिशों के बावजूद भी बीते 10 सालों में कुछ ही FPO बने हैं। जानकारों के मुताबिक,अब यह देखने में रोचक होगा, कि ऐलान करने के बाद केंद्र सरकार इस योजना पर कैसे कामकरती है।

FPO की मौजूदा स्थिति-

साल2011 से ही केंद्र सरकार विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के जरिये FPO को प्रमोट करतीआ रही है। मौजूदा स्थिति में देशभर में कुल 5000 FPO मौजूद हैं। इनमें से 2086 नाबार्ड,903 SFAC और बाकी की राज्य सरकारों और संस्थाओं के अधीन हैं। चिंताजनक बात यह है, किइन 5 हजार FPO में से अधिकतर का प्रदर्शन अप टू द मार्क नहीं है।

एकअनुमान के मुताबिक, करीब 50 फीसदी FPO बेहतर बिज़नेस प्लानिंग और फंड की कमी से जूझरहे हैं। और इनमें से 20 फीसदी तो ऐसे हैं जो बंद होने की कगार पर हैं।

FPO से किसानों को कैसे होताहै फायदा?

यहकिसानों का एक समूह होता है जो एक कंपनी का संचालन करता है, इसके काई फायदे होते हैं।किसानों को थोक दरों पर इनपुट मिलता है, उत्पादन व भारी मात्रा में उत्पादन की वजहसे मार्केटिंग कॉस्ट कम देना होता है साथ ही उन्हें बेहतर फंडिंग और संस्थागत क्रेडिटभी उपलब्ध होता है। वित्तीय ताकत इतनी बढ़ जाती है कि वे फसलों की स्टोरेज पर खर्च करसकें और बाजार के हिसाब से बिक्री कर सकें। उन्हें खेत से फसल निकलते ही बेचने की जल्दीन हो।

दिक्कत कहां आ रही है?

FPOके प्रबंध निदेशक ने बिज़नेस लाइन को एक रिपोर्ट में बताया, कि इन FPO की खराब हालतका कारण फंडिंग की कमी नहीं है। कमी ये है, कि इन FPO की कमान इसके सदस्य किसानों केहाथ में होती है और उनके पास प्रबंधन का अनुभव नहीं होता। दैनिक आधार पर उनके सामनेकई तरह की चुनौतियां आती हैं।

FPO क्या होता है ?

किसानोंकी संस्थागत व्यवस्था को FPO कहते हैं, यह कंपनी एक्ट के तहत एक रजिस्टर्ड इकाई होतीहै। जो उत्पादन करते हैं, वही इसके शेयरहोल्डर्स होते हैं। किसानों की इस संस्था कीमदद से फसल उत्पादन से संबंधित व्यापारिक गतिविधियों का प्रबंधन किया जाता है। संस्थाअपने सदस्य किसानों के फायदे के लिए काम करती है।

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